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मच्छर बोला आदमी से

Contemporary Thoughts
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बरसात के मौसम में,

मच्छर ने अपना मुँह खोला,

और आदमी से इस तरह बोला —

.

मै तेरा खून पी जाऊँगा,

तेरे कान में बेसुरा संगीत बजाऊँगा,

डेंगू, मलेरिया से तुझे डराऊँगा,

चैन की नींद से तुझे जगाऊँगा,

तेरे घर में भी अपना कुनबा बढ़ाऊँगा,

मौका मिलते ही तुझे काट खाऊँगा,

.

आदमी ने मच्छर के बोल को सहा,

और फिर मच्छर से कहा —–

.

मेरा खून तो पहले ही भ्रष्टाचार ने पिया,

महंगाई  ने मेरा बैंड बजा दिया,

आतंकवाद के भय ने जीना मुश्किल किया,

चिन्ता और तनाव ने नींद को लूट लिया |

.

अब तू भी आ जा मुझे और दुखी करने को,

महंगाई, भ्रष्टाचार और आतंकवाद का साथी बनने को,

अपने डंक के जहर से मुझे सताने को,

बीमारियों का उपहार देकर मुझे रुलाने को,

.

मेरा खून पीकर बेशक तू अपना पेट भर,

पर बीमारियों को न मुझे  ट्रांसफर कर,

धोखे और स्वार्थ की ऐसी नीति से डर,

वरना रुक सकता है तेरा भी सफर,

न मुझे बीमारियों से डरा, न खुद भाग इधर-उधर,

मुझे भी चैन से जीने दे, खुद भी देख ले जीकर |

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